**झाँसी की रानी**
सुभट वीरों की थी वो रानी,
झाँसी की शान, थी वीरांगना ज्ञानी।
अंग्रेज़ों से लोहा उसने लिया,
अपने हौसलों से दुश्मन को हरा दिया।
शस्त्र हाथ में, थी तलवार चलाती,
धरती पर जैसे बिजली गिराती।
"मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी," कहके,
रणभूमि में उसने शौर्य दिखाया के।
घोड़े पर सवार, बंधा था पुत्र काया,
मृत्यु को हर क्षण उसने अपनाया।
धर्म, देश, और स्वाभिमान की बात,
रानी ने दिल में रखी हर एक रात।
आज भी उसकी गाथा है अमर,
झाँसी की रानी, भारत की गौरवशाली नर।
वीरता की अद्भुत मिसाल थी वो,
स्वतंत्रता के संघर्ष की मिसाल थी वो।
आओ मिलकर करें नमन हम,
झाँसी की रानी को, जो थी वीर प्रियम।
भारत की माटी ने उसको याद रखा,
स्वतंत्रता का जो दीपक उसने जलाकर रखा।
भजन
यहाँ एक भजन है माँ शेरावाली पर:
माँ शेरावाली तू है महाकाली,
तू है दुर्गा और भवानी।
तेरा नाम लेते ही सारा दुख मिट जाए,
तू करती है हर दिल की निगरानी।
(1)
तेरी कृपा से संसार चलता,
तेरे चरणों में सुख सारा पलता।
तू ही है सृष्टि की रचयिता,
तेरे बिना न कोई यहां चलता।
(2)
जो भी तुझसे आस लगाते,
तू उनके बिगड़े काम बनाते।
तेरे दर पे जो सर झुकाते,
तेरे भक्त कभी हार न पाते।
(3)
मां शेरावाली, मां अम्बे माता,
तेरे चरणों में है हर ख्वाब सजा।
तू ही कष्टों का अंत कराती,
तेरी महिमा जग में गाई जाती।
(4)
जो मां के दरबार को आता,
उसका जीवन सुधर जाता।
मां का आशीर्वाद पा जाए,
हर दुःख से वो मुक्ति पाता।
(5)
तू ही शक्ति, तू ही भक्ति,
तेरे नाम में है असली शक्ति।
तू सबकी नैया पार लगाती,
मां शेरावाली, तेरा यश गाती।
जय माता दी!
एक श्रीकृष्ण भजन
कान्हा तेरी मुरली की धुन,
हर भक्त के दिल में है सजी धुन।
माखनचोर, नटखट गिरधारी,
तेरी माया है सबसे न्यारी।
राधा के संग रचाए तू रास,
तेरे चरणों में है सारा विश्वास।
यमुना के तट पे खेली लीला,
कान्हा तू ही है जग का सजीला।
हर मुश्किल को तूने हराया,
कंस को मार, धर्म को बचाया।
तेरे नाम से मिट जाए सबका दुःख,
हर भक्त तेरे नाम का करे जयघोष।
गोवर्धन उठाया एक अंगुली पर,
कान्हा तू ही सबके दिल के अंदर।
तेरे बिना न होवे कोई सहारा,
हे कृष्ण! तू ही जग का दुलारा।
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